Wednesday, November 28, 2012

उतार पर है नीतीश के सुशासन का जादू


फ़ज़ल इमाम मल्लिक

अधिकार यात्रा पर निकले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सांसत में हैं। प्रदेश भर में उनका जिस तरह से विरोध हुआ इससे उनके सुशासन के दावों की कलई खुल गई है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के मकसद से उन्होंने यह यात्रा शुरू की थी। इस यात्रा के जरिए वे पार्टी के नवंबर में होने वाली अधिकार रैली की तैयारी में जुटे थे। लेकिन हर जगह उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। कई जगह उन्हें चप्पलें दिखाई गईं तो कई जगह काले झंडे। अपने विरोध से बौखलाए नीतीश कुमार ने सार्वजनिक सभा में यहां तक कह दिया कि अगर लोकतंत्र पर उन्हें यकीन नहीं होता तो यहां जमा भीड़ प्रदर्शन कर रहे लोगों का क्या हश्र कर देती पता नहीं। वे इतना पर ही नहीं रुके बाहुबलि रणबीर यादव की भी तारीफ की जिन्होंने प्रदर्शन कर रहे लोगों को धमकाने के लिए उनके सामने पुलिस की र्काबाइन छीन कर फाइरिंग कर लोगों को धमकाया। हद तो यह है कि उनकी इस हरकत पर उनके ख्रिलाफ अब तक कोई मुकदमा तक दर्ज नहीं हुआ है। जबकि प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दिया है।
अधिकार यात्रा के दौरान नीतीश जब खगड़िया पहुंचे तो वहां भी नियोजित शिक्षकों का विरोध झेलना पड़ा। तब जद (एकी) विधायक पूनम देवी के पति रणवीर यादव ने पुलिस की कारबाइन कर फाइरगिं की और लोगों को धमकाया।  रणबीर यादव भी विधायक रहे थे। वे दबंग और बाहुबलि हैं और अपना दामन साफ रखने के लिए नीतीश कुमार ने उनका टिकट काट कर उनकी पत्नी को टिकट दिया था। वे संदेश देना चाहते थे कि जद (एकी) बाहुबलियों को टिकट देने के खिलाफ है। लेकिन उनकी मंशा साफ थी और खगड़िया में यह देखने को मिला। नीतीश कुमार की मौजूदगी में एक बाहबलि पुलिस से कारबाइन छीन लेता है और उस पर अभी तक कोई कारर्वाई नहीं होती। दिलचस्प बात यह है कि बाहुबलि नेता रणबीर यादव इसे सही ठहरा रहे हैं और ऐसा करते हुए वे भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद वगैरह की मिसाल देते हैं। रणधीर यादव ने कहा कि देश की आजादी के लिए चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह ने हथियार उठाया था और मैंने एक मुख्यमंत्री को बचाने के लिए। उनकी पत्नी और विधायक पूनम पांडेय भी मानती हैं कि भीड़ उग्र थी और वह मुख्यमंत्री की हत्या करना चाहती थी। जद (एकी) के तमाम नेता भी यही हत्या राग को गाते हुए विपक्ष की साजिश करार दे रहे हैं लेकिन ऐसा करते हुए वे यह भूल जाते हैं कि सत्ता नीतीश के हाथ में है। खुफिया तंत्र से लेकर पुलिस और प्रशासन उनकी अपनी है तो फिर सरकार को यह खबर क्यों नहीं हुई कि नीतीश की हत्या की साजिश थी। और बड़ा सवाल यह कि अगर भीड़ उग्र थी तो किसी को भी पुलिस से कारबाइन छीनने का हक किसने दिया है। विपक्ष की साजिश करार देने वाले जद (एकी) नेताओं के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि कुछ जगहों पर तो सरकार में शामिल भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने नीतीश के खिलाफ प्रदशर््न किया। विरोध से तिलमिलाए नीतीश ने अब प्रशासन को यहां तक आदेश दे दिया है कि उनकी सभा में बिना पास के कोई प्रवेश नहीं कर सकता है और न ही उनकी सभा में कोई काली कमीज पहन कर या दोपट्टा ओढ़ कर आए। सभा में काले छाते लाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
दरअसल नीतीश तानाशाही प्रवृति के हैं और प्रदेश में पहली बार उनका विरोध हो रहा है। अब तक उनका सारा सुशासन नारों और भाषणों तक ही रहा है। वे अधिकार यात्रा पर निकले हैं लेकिन जब शिक्षक अपने अधिकार की बात कहते हैं तो नीतीश संयम खोते हैं। बिहार में नियोजित शिक्षकों की तादाद एक लाख से ज्यादा है और उन्हें छह से लेकर आठ हजार रुपए तनख्वाह मिलती है। शिक्षक अपनी तनख्वाह बढ़ाने के साथ-साथ दूसरी सुविधा देने की मांग कर रहे थे और नीतीश को यह पसंद नहीं आया। इसलिए दरभंगा में उन्होंने किसी तानाशाह की तरह एलान कर दिया कि वे उन्हें उनका अधिकार नहीं देंगे।
विपक्ष को नीतीश पर हमला बोलने का मौका मिला है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी कहते हैं कि नीतीश के सुशासन की पोल खुल रही है तो वे बौखला रहे हैं। बिहार नवनिर्माण मंच के संयोजक उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि नीतीश के तौर-तरीकों का सच सामने आ रहा है। वे पार्टी और पार्टी से बाहर भी तानाशाह की तरह पेश आते हैं। मंच के सहसंयोजक शंकर आजाद नीतीश की नीतियों की आलोचना करते हुए कहते हैं कि वे अपने खिलाफ कुछ बी सुनना पसंद नहीं करते हैं और अब तक बिहार के लोगों को भ्रमा कर शासन कर रहे थे। ऐसा नहीं है कि पहली बार उनका इस तरह का विरोध हुआ है। उनके विश्वास और विकास यात्रा के दौरान भी विरोध हुआ था लेकिन मीडिया ने उन पर तवज्जो नहीं दी क्योंकि बिहार में नीतीश ने मीडिया पर अघोषित सेंसर लगा रखा था। बिहार युवक कांग्रेस के अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा है कि सरकार के मुखिया ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया, उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। बिहार में सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है और वह गुस्सा नीतीश की सभाओं में सामने आ रहा है। नीतीश पिछले सात-आठ साल से सिर्फ विकास का नारा ही लगाते रहे हैं जमीन पर कुछ भी नहीं हुआ है। जाहिर है कि लोगों का गुस्सा तो फूटना ही था।
बहरहाल इसे लेकर बिहार में राजाीति   भी गरमा गई है। जद (एकी) नेताओं के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि नीतीश को मारने की कौन और क्यों साजशि कर रहा है। जद (एकी) ने इसके लिए राजद पर आरोप लगाया है। इस बीच राजद प्रमुख लालू यादव परिवर्तन यात्रा पर निकले हुए हैं। उधर कुशवाहा अपने साथियों के साथ संकल्प यात्रा पर हैं। लालू यादव अपना खोया जनाधार पाने के लिए लोगों के बीच जा रहे हैं। उनके साथ यों तो रामविलास पासवान हैं लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी उनकी अगुआई में अलग तरीके से नीतीश के कामकाज का विरोध कर रहा है। विपक्ष के इन हमलों के बीच जद (एकी) और भाजपा अलग-अलग सुर में गा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी चालीस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. ठाकुर ने इसका इजहार भी किया था। भाजपा में यह कवायद करीब साल भर से चल रही है। पार्टी अब नीतीश के शिकंजे से खुद को निकालना चाहती है। हालांकि इससे पहले नीतीश ने भी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे।
यों भी भाजपा और जद (एकी) के बीच चल रही तनातनी से नीतीश की परेशानी कम नहीं हो रही है। उन्हें अब जगह-जगह लोगों के विरोध का सामना तो करना ही पड़ रहा है, सरकार में शामिल भाजपा भी उनके कामकाज के तरीकों से नाराज है।भाजपा सांसद ने अपनी ही सरकार पर जम कर निशाना साधा। पूर्णिया के सांसद उदय सिंह के बयान ने खुद उनकी पार्टी को तो सांसत में डाला ही है, जद (एकी) में भी उनके बयान से बेचैनी बढ़ी उदय सिंह ने तीस सितंबर को बिहार सरकार के खिलाफ ‘वेदना प्रदर्शन’ कर नीतीश को जम कर कोसा।
उदय सिंह यहां से दूसरी बार चुन कर संसद पहुंचे हैं। इलाके में वे लोकप्रिय हैं। परिवार के लोग राजनीति और सत्ता से जुड़े रहे हैं। वे राज्यसभा सदस्य एनके सिंह के अनुज हैं। लेकिन उनके सरकार विरोधी प्रदर्शन से हड़कंप है। सिंह ने कहा कि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की दशा में कोई सुधार नहीं हो रहा है। जिन्हें राशन और किरासन मिलना चाहिए, उन्हें नहीं मिल रहा है। इंदिरा आवास हो या मनरेगा, तमाम योजनाओं में लूट और भ्रष्टचार है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? जानकार बताते हैं कि जद (एकी) के कई सांसद हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके कामकाज पर सवालिया निशान लगाया। लोगों की समस्याओं को सामने रख नीतीश कुमार की सरकार को घेरा। ऐसे सासंदों मेंं राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा, मंगनी लाल मंडल प्रंमुख हैं। ललन सिंह और मंगनी लाल मंडल लोकसभा के सदस्य हैं। उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा के सदस्य हैें। जद (एकी) की ओर से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई। भाजपा सांसद उदय सिंह पहले सांसद हैं, जिन्होेंने पार्टी और सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
भाजपा और जद (एकी) के बीच कटुता लगातार बढ़ रही है। जद (एकी) सांसद कैप्टन जयनाराययण प्रसाद निषाद के ताजा बयान ने आग में घी का काम किया है। निषाद ने भाजपा को मीठा जहर बताते हुए उससे जल्द किनारा कर लेने को नीतीश को कहा है। जाहिर है कि भाजपा में इसकी कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। सीपी ठाकुर के साथ-साथ नीतीश सरकार में मंत्री गरिीराज सिंह ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। राजग के इन दो दलों के बीच जिस तरह से तकरार बढ़ रहा है उससे नए राजनीतिक संदेश भी जाते हैं। फिलहाल इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सरकार चल रही है और गठबंधन भी। लेकिन यह कब तक चलेगा, निगाहें इस पर रहेंगी क्योंकि भाजपा अगले साल मार्च-अप्रैल में पटना में रैली करने जा रही है और उस रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बुलाया जाएगा। मोदी के बिहार आने पर नीतीश की प्रतिक्रिया क्या रहेगी, इस पर भी राजनीतिक विशलेषकों की नजर रहेगी।

No comments:

Post a Comment